The best Side of Shodashi

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

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ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

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यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार more info अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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